बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 6
कलिंग नरेश खारवेल
(King Kharvela of Kalinga)
प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
अथवा
'कलिंगराज' खाखेल पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
अथवा
कलिंगराज खारवेल के जीवन तथा व्यक्तित्व के विषय में बताइये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. खारवेल के जीवन का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
2. राजा खारवेल के विषय में आप क्या जानते हैं?
3. कलिंगराज खारवेल के जीवन व व्यक्तित्व को समझने के लिए अभिलेखीय साक्ष्य के विषय में बताइए।
4. हाथीगुम्फा अभिलेख पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
5. "कलिंगराज खारवेल एक सर्वगुणसम्पन्न नरेश था।' समझाइये |
6. हाथी गुम्फा अभिलेख से किस राजा के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालता पड़ता है?
उत्तर-
(Kalinga King Kharvela)
मौर्य वंश के समाप्त होने पर जब मगध साम्राज्य के अनेक सुदूरवर्ती प्रदेश मौर्य सम्राटों की आधीनता से मुक्त होने लगे तो कलिंग भी स्वतन्त्र हो गया। यद्यपि कलिंग को अशोक ने जीतकर मौर्य साम्राज्य का अंग बनाया था, परन्तु वह अधिक समय तक मौर्यों के अधीन न रहा। उड़ीसा के भुवनेश्वर नामक स्थान से तीन मील दूर उदयगिरि की पहाड़ी पर एक शिलालेख उपलब्ध हुआ है जो हाथीगुम्फा अभिलेख के नाम से विख्यात है।
हाथीगुम्फा अभिलेख - उड़ीसा प्रान्त के पुरी जिले में भुवनेश्वर मन्दिर से तीन मील पश्चिम दिशा में उदयगिरि-खण्डगिरि की पहाड़ियाँ स्थित हैं जिनमें प्राचीन जैन गुफाएँ खोदी गई है। इन्हीं में से एक का नाम हाथीगुम्फा है। इसमें सत्रह पंक्तियें में लेख खुदा हुआ है जिसकी लिपि ब्राह्मी है। इसकी भाषा प्राकृत है जो पालि से मिलती-जुलती है। इस लेख में कोई तिथि नहीं दी गई है। लिपिशास्त्र के आधार पर इसे ईसा पूर्व पहली शताब्दी का माना जाता है। इसके रचयिता का नाम भी अज्ञात है। यह लेख एक प्रशस्ति के रूप में है जिसका मुख्य उद्देश्य खरवेल के जीवन तथा उपलब्धियों को प्रस्तुत करना है।
खारवेल की जीवनी - हाथीगुम्फा अभिलेख के अनुसार कलिंगराज खारवेल चेदि वंशीय क्षत्रिय था जो महा मेघवाहन की तीसरी पीढ़ी में उत्पन्न हुआ था। इसने 13 वर्ष शासन किया और इन 13 वर्ष की घटनाओं का ब्यौरा इससे उपलब्ध होता है। इस अभिलेख से यह जानकारी प्राप्त होती है कि उसने अनेक विषयों की शिक्षा प्राप्त की थी, उसने लेखन कला, गणित, कानून तथा अर्थशास्त्र का गम्भीर अध्ययन किया था। 15 वर्ष की आयु में वह युवराज बन गया था। 9 वर्ष तक युवराज रहने के पश्चात् 24 वर्ष की आयु में कलिंगराज सिंहासन पर बैठा। राजा बनने पर उसने कलिंगाधिपति और कलिंग चक्रवर्ती उपाधियों को धारण किया।
खारवेल की शासन तिथि - खारवेल के उत्थान के बारे में विद्वानों के विभिन्न मत हैं। कुछ विद्वान इसे शुंगों का समकालीन और कुछ विद्वान सातवाहन राजा शातकर्णी का समकालीन मानते हैं। परन्तु विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर खारवेलों का उत्कर्ष काल ई. पूर्व प्रथम शताब्दी में रखना उचित प्रतीत होता “ है। उपर्युक्त तथ्य का समर्थन प्रो. बरुआ, प्रो. वी. आर. चन्दा और डा. राय चौधरी भी करते हैं।
राजनीतिक गतिविधियाँ खारवेलों का उत्कर्ष तथा युद्ध राज्यारोहण के प्रथम वर्ष में उसने तूफान से क्षतिग्रस्त कलिंग के प्राचीन प्राचीरों, भवनों एवं द्वारों का पुनर्निर्माण कराया तथा तालाबों का निर्माण और खेती की व्यवस्था पर भी ध्यान दिया। इस प्रकार उसने 35,00,000 प्रजा को सुखी रखा।
राज्याभिषेक के दूसरे वर्ष उसने अपनी सेनाएं सातवाहन तथा शातकर्णी की उपेक्षा करते हुए पूर्व की ओर भेजी। कृष्णा नदी के तट पर स्थित भूमिक नगर को उसकी सेनाओं ने नष्ट किया। यह नगर शातकर्णी के राज्य के बाद पड़ता था। अतः यह सिद्ध होता है कि शातकर्णी से खारवेल को युद्ध नहीं करना पड़ा।
अपने राज्य के चौथे वर्ष उसने अपनी सेना को पुनः पश्चिम भेजकर रठिकों और भोजकों को अधीनस्थ किया। भोजकों का राज्य स्थान वरार और रठिकों का राज्य स्थान पूर्वी खानदेश व अहमद नगर था। ये गणराज्य सातवाहनों की अधीनता में थे, जिनकी उपेक्षा खारवेल ने की थी। इस प्रकार खारवेलों के आगे शातकर्णी क शौर्य फीका पड़ गया था, इस प्रकार उसने सुदूर पश्चिम के भू-भागों को विजय कर कलिंग साम्राज्य का विस्तार किया।
शासन के आठवें वर्ष खारवेल ने उत्तरी क्षेत्र पर विजय प्राप्त की। उसकी सेना ने गया जिले के बारबर पहाड़ियों में स्थित गोरथगिरि के दुर्ग पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की।
जिस समय खारवेल दूसरी विजयों में व्यस्त था उसी समय यवन भारत पर आक्रमण करते हुए मध्य प्रदेश तक पहुँच गये थे। परन्तु वे खारवेल की कीर्ति और यश को सुनकर भयभीत हो गये और मथुरा की ओर वापस चले गये। इतिहासकारों के अनुसार यह भयभीत राजा डिमेट्रियस था।
खारवेल ने अपने शासन के नवें वर्ष राज्य की नदी के तट पर 'महाविजय प्रासाद' नामक राजप्रासाद का निर्माण कराया जो उसकी उत्तरापथ की विजय को सूचित करता है।
खारवेल ने अपने शासनकाल के 11वें वर्ष दक्षिण दिशा को आक्रान्त किया और वहाँ उसने विथुण्ड ( पितुण्ड) को विजय कर राजा को उपहार देने के लिए विवश किया। इन दूरस्थ तमिल राज्यों को शक्तिशाली मौर्य सम्राट भी अपनी अधीनता में न ला सके थे परन्तु खारवेल इन सबको परास्त करने में सफल रहा।
हाथीगुम्फा अभिलेख में खारवेल द्वारा हराये गये तमिल देश संघात का उल्लेख है। अपने शासन के 12वें वर्ष पुनः एक बार फिर उत्तर दिशा को अपनी सेना से आक्रान्त किया और अपनी सेना के हाथी, घोड़ों को गंगाजल से स्नान कराया और मगध राजा को अपने पैरों पर गिरने पर मजबूर किया तथा नन्दों द्वारा कलिंग से लाई गयी भगवान महावीर की मूर्तियों को वापस लाया। इन मूर्तियों के अतिरिक्त बहुत सी कीमती सामग्री खारवेल के हाथ लगी। इस लूट की सम्पत्ति से उसने उड़ीसा में एक मन्दिर का निर्माण कराया जिसका उल्लेख ब्रह्माण्ड पुराण में मिलता है। खारवेल ने कलिंग में स्तम्भ बनवाये जिनके अन्दर नक्कासी का कार्य देखने को मिलता है। इसके अन्दर पाण्ड्य राज्य से प्राप्त हाथीदांत से निर्मित जहाज की भेटों को इसने रखवाया।
खारवेल का धर्म - खारवेल जैन धर्म का अनुयायी था। वह मगध से जैन शीतलनाथ की मूर्ति उठा लाया था। उसने जैन भिक्षुओं के रहने एवं साधना करने के लिए गुफाओं का निर्माण कराया तथा जैन भिक्षुओं के लिए कुमारी पर्वत पर एक सभा भवन बनवाया था। डा. के. पी. जायसवाल के अनुसार, "खारवेल ने जैन विद्वानों की एक सभा बुलाकर जैन ग्रन्थों का सम्पादन कराया। खारवेल अन्य धर्मों के प्रति उदार और सहिष्णु था। उसने तमाम देव मन्दिरों का जीर्णोद्धार कराया।"
खारवेल को शान्ति और समृद्धि का सम्राट कहा गया है। उसे भिक्षु सम्राट तथा धर्मराज भी कहा जाता था जिसने अपना बहुत-सा समय. कल्याणकारी कार्य करने, देखने और सुनने में बिताया। हाथीगुम्फा लेख की अन्तिम पंक्ति इसकी राजनीतिक कीर्ति को दुहरा देती है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि खारवेल बड़ा ही पराक्रमी सम्राट था जिसने कलिंग राज्य की सीमाओं को सुदूर तक विस्तृत करके अपने यश में चार चांद लगा दिये। प्रो. कश्यप ने खारवेल के विषय में बिल्कुल सत्य लिखा है, "भारतीय इतिहास के गगन में वह धूमकेतू के समान उदित हुआ और चारों ओर खलबली मचा कर फिर अस्त हो गया।"
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- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
- उत्तरमाला
- प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
- उत्तरमाला
- प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
- प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
- उत्तरमाला
- प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
- प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
- उत्तरमाला
- प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
- प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- नहपान कौन था?
- प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
- उत्तरमाला
- प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
- उत्तरमाला
- प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
- प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
- उत्तरमाला
- प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
- प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
- उत्तरमाला
- प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
- उत्तरमाला
- प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
- उत्तरमाला
- प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
- प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
- उत्तरमाला
- प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
- उत्तरमाला
- प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
- प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
- उत्तरमाला